Volume Indicator क्या है?
शेयर मार्केट में वॉल्यूम का मतलब और इसका सही उपयोग
वॉल्यूम इंडिकेटर
शेयर मार्केट में जब भी आप चार्ट देखते हैं, तो नीचे की तरफ एक सीरीज़ में बार्स (Bars) दिखाई देती हैं — इन्हें Volume Bars कहा जाता है। ये बताते हैं कि किसी स्टॉक में एक खास समयावधि के दौरान कितने शेयर खरीदे और बेचे गए।
यानी, वॉल्यूम मार्केट की activity का pulse है — जितना ज़्यादा वॉल्यूम, उतनी ज़्यादा ट्रेडिंग में दिलचस्पी।
क्या आप स्टॉक मार्केट (Stock Market) में ट्रेडिंग (Trading) करते हैं, लेकिन यह नहीं समझ पा रहे हैं कि किसी स्टॉक में कब प्रवेश करें या कब बाहर निकलें? कीमतें देखना ही काफी नहीं है; आपको यह भी जानना होगा कि उस कदम के पीछे कितनी ताकत है। यहीं पर वॉल्यूम इंडिकेटर (Volume Indicator) आपके लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है।
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Volume Indicator क्या होता है?(What is a Volume Indicator?)
Volume Indicator एक technical analysis tool है जो किसी समयावधि में ट्रेड हुए शेयरों की संख्या दिखाता है।
यह बताता है कि किसी शेयर या इंडेक्स में खरीदारों और विक्रेताओं की भागीदारी कितनी रही।
उदाहरण के तौर पर —
अगर किसी स्टॉक की कीमत ऊपर जा रही है और वॉल्यूम भी बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि ट्रेंड मजबूत (Strong) है।
लेकिन अगर कीमत ऊपर जा रही है पर वॉल्यूम घट रहा है, तो ट्रेंड कमज़ोर (Weak) हो सकता है।
वॉल्यूम (Volume) का मतलब है एक निश्चित समय सीमा के भीतर खरीदे और बेचे गए शेयरों या कॉन्ट्रैक्ट्स की कुल संख्या। दूसरे शब्दों में, यह दिखाता है कि उस समय उस स्टॉक में कितने लोग सक्रिय रूप से ट्रेड कर रहे थे।
वॉल्यूम इंडिकेटर एक तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis) टूल है जो इस ट्रेडिंग गतिविधि को ग्राफ़ पर दर्शाता है, आमतौर पर मुख्य मूल्य चार्ट (Price Chart) के नीचे बार्स (Bars) के रूप में। उच्च बार उच्च ट्रेडिंग गतिविधि को दर्शाते हैं, जबकि छोटे बार कम गतिविधि को।
वॉल्यूम इंडिकेटर क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is the Volume Indicator Important?)
वॉल्यूम इंडिकेटर को अक्सर "बाजार की गति" या "ईंधन" कहा जाता है जो मूल्य चालों को संचालित करता है। यह ट्रेडर्स को तीन मुख्य चीजें समझने में मदद करता है:
चाल की पुष्टि (Confirmation of a Move):
जब तेजी से बढ़ते वॉल्यूम के साथ कीमत ऊपर जाती है, तो यह दर्शाता है कि उस चाल में वास्तविक रुचि और ताकत है, जिससे यह ब्रेकआउट (Breakout) अधिक विश्वसनीय बन जाता है।
यदि कीमत बिना वॉल्यूम के ऊपर या नीचे जाती है, तो वह चाल कमजोर मानी जाती है और उसके पलटने की संभावना अधिक होती है।
रुझान की कमजोरी (Weakness in a Trend):
यदि कोई स्टॉक ऊंचे स्तर पर पहुंच रहा है, लेकिन वॉल्यूम घट रहा है, तो यह दर्शाता है कि खरीदारों की रुचि कम हो रही है, जो रुझान पलटने (Reversal) का संकेत हो सकता है।
ब्रेकआउट की वैधता (Validity of Breakouts):
सपोर्ट (Support) या रेजिस्टेंस (Resistance) स्तर से ऊपर या नीचे की ओर अधिक वॉल्यूम के साथ होने वाला ब्रेकआउट एक मजबूत और वैध कदम माना जाता है। कम वॉल्यूम वाला ब्रेकआउट अक्सर झूठा साबित होता है।
Volume Indicator के प्रकार (Types of Volume Indicators)
शेयर मार्केट में कई तरह के Volume Indicators होते हैं। आइए कुछ लोकप्रिय indicators को समझते हैं:
1. On-Balance Volume (OBV)
OBV एक cumulative indicator है जो वॉल्यूम को price movement के साथ जोड़ता है।
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अगर प्राइस बढ़ती है तो वॉल्यूम add होता है।
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अगर प्राइस घटती है तो वॉल्यूम subtract होता है।
👉 इससे आपको पता चलता है कि smart money यानी बड़े निवेशक मार्केट में किस दिशा में ट्रेड कर रहे हैं।
सबसे लोकप्रिय वॉल्यूम इंडिकेटर (Most Popular Volume Indicators)
वॉल्यूम को मापने के लिए कई इंडिकेटर मौजूद हैं, जिनमें से कुछ सबसे लोकप्रिय हैं:
| इंडिकेटर का नाम | यह क्या मापता है | कैसे उपयोगी है |
| वॉल्यूम बार्स (Volume Bars) | एक निश्चित समय में खरीदे-बेचे गए शेयर। | यह पुष्टि करने के लिए कि मूल्य चाल में कितनी भागीदारी है। |
| ऑन-बैलेंस वॉल्यूम (OBV - On-Balance Volume) | वॉल्यूम के आधार पर कुल संचयी दबाव (Cumulative pressure)। | यह पता लगाने के लिए कि संचय (Accumulation - खरीदारी) हो रही है या वितरण (Distribution - बिकवाली)। |
| वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP - Volume Weighted Average Price) | वॉल्यूम के अनुसार औसत मूल्य। | संस्थागत निवेशकों (Institutional Investors) के लिए यह ट्रैक करने के लिए कि वे अच्छे मूल्य पर खरीद रहे हैं या बेच रहे हैं। |
2. Volume Moving Average (VMA)
VMA average वॉल्यूम को एक समयावधि (जैसे 20 दिन) के लिए दिखाता है।
यह बताता है कि हाल का वॉल्यूम औसत से ऊपर है या नीचे।
अगर वॉल्यूम average से ऊपर है तो इसका मतलब है कि price move में दम है।
3. Volume Price Trend (VPT)
VPT, price और volume दोनों को combine करता है।
यह बताता है कि वॉल्यूम के साथ प्राइस में trend की direction और strength क्या है।
अगर वॉल्यूम और प्राइस दोनों बढ़ते हैं → Bullish signal,
अगर दोनों घटते हैं → Bearish signal।
4. Chaikin Money Flow (CMF)
CMF यह दिखाता है कि मार्केट में buying pressure ज़्यादा है या selling pressure।
अगर indicator positive है → खरीदारी ज़्यादा,
अगर negative है → बिकवाली ज़्यादा।
Volume से Trend की ताकत कैसे पहचानें
वॉल्यूम किसी भी ट्रेंड की “रीढ़” होती है। कुछ मुख्य बातें:
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High Volume + Price Up = Strong Uptrend
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High Volume + Price Down = Strong Downtrend
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Low Volume + Price Up = Weak Rally (Fake Move)
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Low Volume + Price Down = Weak Selling Pressure
👉 इसका मतलब — वॉल्यूम आपको बताता है कि प्राइस मूवमेंट genuine है या trap।
Volume Breakout क्या होता है?
जब कोई स्टॉक किसी महत्वपूर्ण resistance या support level को तोड़ता है और उसी समय वॉल्यूम बढ़ जाता है, तो उसे Volume Breakout कहा जाता है।
यह संकेत देता है कि उस स्टॉक में नया ट्रेंड शुरू हो रहा है।
Example:
अगर कोई स्टॉक ₹200 के ऊपर कई बार नहीं गया और अचानक ₹205 पर heavy volume के साथ breakout करता है — तो यह Bullish Breakout कहलाता है।
Volume Divergence का मतलब
कभी-कभी प्राइस और वॉल्यूम विपरीत दिशा में चलते हैं — इसे Divergence कहते हैं।
जैसे —
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प्राइस बढ़ रहा है लेकिन वॉल्यूम घट रहा है → ट्रेंड कमजोर।
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प्राइस घट रहा है लेकिन वॉल्यूम बढ़ रहा है → ट्रेंड reversal का संकेत।
Volume Indicator का सही उपयोग कैसे करें
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इसे Moving Averages या RSI Indicator के साथ मिलाकर इस्तेमाल करें।
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Intraday traders के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण tool है।
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Breakout या Breakdown की पुष्टि (confirmation) में Volume हमेशा मदद करता है।
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केवल प्राइस देखकर निर्णय न लें — Volume हमेशा सच्चाई बताता है।
बढ़ती कीमतें + बढ़ता वॉल्यूम = मजबूत अपट्रेंड (Strong Uptrend) - खरीदें।
गिरती कीमतें + बढ़ता वॉल्यूम = मजबूत डाउनट्रेंड (Strong Downtrend) - बेचें।
बढ़ती/गिरती कीमतें + घटता वॉल्यूम = कमजोर ट्रेंड/संभावित रीवर्सल (Weak Trend/Potential Reversal) - सतर्क रहें।
निष्कर्ष (Conclusion)
Volume Indicator किसी भी trader या investor के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार है।
यह मार्केट में चल रही खरीद-बिक्री की गहराई दिखाता है और आपको यह समझने में मदद करता है कि कौन सा ट्रेंड असली है और कौन नकली।
अगर आप शेयर मार्केट में नए हैं, तो Volume को समझना आपकी ट्रेडिंग accuracy को कई गुना बढ़ा सकता है।

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